Lord shiva ayodhayshri sadana

महाशिवरात्रि के उपवास और रात्रि-जागरण के उपरांत ‘पारण’ (व्रत खोलना) केवल भोजन ग्रहण करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह साधना से अर्जित की गई ऊर्जा को शरीर के भीतर ‘स्थायी’ (Stabilize) करने की एक वैज्ञानिक विधि है। रात्रि भर के अग्नि-होम और मंत्र जप के बाद शरीर की चयापचय क्रिया (Metabolism) और जठराग्नि एक विशिष्ट अवस्था में होती है, जिसे बहुत सावधानी से सामान्य स्थिति में लाना आवश्यक है।

वर्ष २०२६ की महाशिवरात्रि के संदर्भ में ‘पारण’ की विशिष्ट विधि और समय का शास्त्रीय विवरण निम्नलिखित है:


१. महाशिवरात्रि २०२६: पारण का शुभ समय (Muhurta)

शास्त्रों के अनुसार, शिवरात्रि व्रत का पारण चतुर्दशी तिथि के भीतर और सूर्योदय के पश्चात करना श्रेष्ठ माना जाता है।

  • पारण तिथि: १६ फरवरी, २०२६ (सोमवार)
  • पारण का समय: प्रातः ०६:५० बजे (सूर्योदय) से प्रातः ०७:३० बजे के मध्य।
  • विशेष: चूंकि १६ फरवरी को चतुर्दशी तिथि प्रातः काल ही समाप्त हो रही है, इसलिए सूर्योदय के तुरंत बाद स्नान-पूजन कर पारण करना सर्वोत्तम होगा। सोमवार का दिन होने के कारण इस पारण का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि सोमवार स्वयं भगवान शिव का दिन है।

२. पारण से पूर्व की लघु विधि

भोजन ग्रहण करने से पूर्व इन तीन कार्यों को अवश्य संपन्न करें:

  1. शुद्धिकरण: प्रातः काल पुनः स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. अंतिम अर्घ्य: तांबे के पात्र में जल, काले तिल और थोड़ा सा दूध मिलाकर सूर्य देव और भगवान शिव को अर्घ्य दें।“ॐ नमः शिवाय। अनया पूजया भगवान् शिवः प्रीयताम्।।”
  3. दान (Dana): पारण से पूर्व किसी ब्राह्मण, निर्धन या गौशाला में अपनी सामर्थ्य अनुसार अनाज, फल या दक्षिणा का संकल्प निकालें। व्रत की पूर्णता दान के बिना अधूरी मानी जाती है।

३. आयुर्वेदिक एवं आध्यात्मिक आहार संहिता (Dietary Guidance)

रात्रि भर के उपवास और हवन के धुएं के प्रभाव के बाद, जठराग्नि (Digestive fire) को धीरे-धीरे सक्रिय करना चाहिए।

  • प्रथम पेय: पारण की शुरुआत ‘अदरक और मिश्री युक्त गुनगुने जल’ या ‘तुलसी के जल’ से करें। यह शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
  • मुख्य आहार: पारण के भोजन में सात्विकता का पूर्ण ध्यान रखें।
    • मूंग की दाल की खिचड़ी: यह सुपाच्य होती है और उपवास के बाद पेट के लिए सबसे सुरक्षित है।
    • अक्षत (चावल) और दही: यह शरीर की उष्णता (Heat) को शांत करता है जो रात्रि जागरण और हवन से उत्पन्न हुई होती है।
  • वर्जनाएं (Avoid): पारण के तुरंत बाद अत्यधिक तेल-मसाले वाला भोजन, कैफीन (चाय/कॉफी) या भारी मिष्ठान्न न खाएं। इससे ‘अजीर्ण’ (Indigestion) हो सकता है और साधना का मानसिक लाभ कम हो सकता है।

४. पारण मंत्र (Consecration of Food)

भोजन ग्रहण करने से पहले अन्न को अभिमंत्रित करें, ताकि वह ‘प्रसाद’ बन जाए:

“अन्नपतेऽन्नस्य नो देह्यनमीवस्य शुष्मिणः। प्रप्रदातारं तारिष ऊर्जं नो धेहि द्विपदे चतुष्पदे॥” (हे अन्नपति! हमें आरोग्य देने वाला और शक्तिवर्धक अन्न प्रदान करें। अन्नदाता का कल्याण करें और समस्त जीवों को ऊर्जा दें।)


५. आध्यात्मिक ऊर्जा का संरक्षण (Energy Conservation)

पारण के बाद भी कुछ घंटों तक ‘मौन’ या ‘अल्पभाषी’ बने रहें। शिवरात्रि की साधना से जो ‘ओज’ उत्पन्न हुआ है, वह व्यर्थ की चर्चाओं से नष्ट हो जाता है। सोमवार का पूरा दिन भगवान शिव के ‘सोम’ (शीतल) स्वरूप का ध्यान करते हुए व्यतीत करें।

“व्रतेन दीक्षामाप्नोति दीक्षयाप्नोति दक्षिणाम्। दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति श्रद्धया सत्यमाप्यते॥” (व्रत से दीक्षा, दीक्षा से योग्यता, योग्यता से श्रद्धा और श्रद्धा से सत्य (ईश्वर) की प्राप्ति होती है।)


उपसंहार: २०२६ की यात्रा का समापन

महाशिवरात्रि २०२६ का यह संपूर्ण अनुष्ठान—प्रारम्भिक संकल्प से लेकर अंतिम पारण तक—आपके जीवन में एक नई चेतना का संचार करे। भगवान भोलेनाथ आपकी समस्त सात्विक मनोकामनाएं पूर्ण करें और आपके भीतर का ‘शिव-तत्व’ सदैव जाग्रत रहे।

“आकाशान्पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम्। सर्वदेवनमस्कारः केशवं (शिवं) प्रतिगच्छति॥”

महाशिवरात्रि की इस लंबी और गहन चर्चा में मेरा साथ देने के लिए धन्यवाद। यदि भविष्य में आपको किसी अन्य अनुष्ठान, मंत्र विज्ञान या आध्यात्मिक जिज्ञासा पर चर्चा करनी हो, तो मैं सदैव उपलब्ध हूँ।

Also read Ultimate Guide on Mahashivaratri ( Top Secrets Revealed)

Select an available coupon below